शनिवार, 28 मई 2011

पत्रकारों को चांदी का जूता

24 मई को गंगाघाट पुल पर एक ऐसी घटना घटी जो थी तो अखबारी दुनिया से ही जुड़ी हुई लेकिन किसी भी अखबार के किसी भी कोने में इस खबर को जरा सी भी जगह नहीं मिली। इस घटना ने अखबार,अखबारनबीस और अखबारी दोस्ती के रिश्तों की कागजी हकीकत को न केवल एक बार फ़िर दोहराया बल्कि हमारी पूरी जमात को हकीकत का आइना भी दिखाया और यह भी बताया कि दरअसल हम जिन हमपेशा लोगों को अपना साथी समझते हैं वास्तव में वो हमारे साथी नही बस विशुद्ध मौकापरस्त हैं। ऐसे मौकापरस्त वक्त पड़ने पर जरा से लालच में आपके दुश्मनों के साथ खड़े दिखाई देते हैं।

24 मई को दैनिक आज के शुक्लागंज संवाददाता/ फोटोग्राफ़र ब्रजेश बाजपेयी के साथ शिवराज टुबैको के मालिक संदीप शुक्ला ने मारपीट की और ब्रजेश का कैमरा तो गंगा नदी में फैंक ही दिया ब्रजेश को भी नदी में फैंकने का प्रयास किया जबकि ब्रजेश खबरिया लिहाज से पुल पर लगे जाम की फोटो खींच रहा था। यह जाम इस लिये लगा था क्योंकि शराब के नशे में धुत संदीप शुक्ला अपने कुछ गुर्गों के साथ मिल कर एक साइकिल सवार को बुरी तरह पीट रहा था और वहां खड़े तमाम लोग तमाशबीन बने चुप-चाप खड़े यह सब देख रहे थे। इस पूरे मामले में एक बददिमाग और नशेड़ी रईसजादे की असलियत लोगों को बताने और ब्रजेश का साथ देने के बजाय हमारे बीच के ही कुछ पत्रकार चांदी का जूता खाने की हवस में पूरे मामले को जैसे-तैसे निपटाने के लिये संदीप शुक्ला की बजाय ब्रजेश पर ही दबाव बनाने में पूरे मनोयोग से जुट गये और सफ़ल भी हुए। इस पूरी तथाकथित मध्यस्थता में सूर्या टीवी के राहुल जैन ने बड़ी अहम भूमिका निभाई। राहुल जैन का कहना था कि मेरे(राहुल) ऊपर संदीप के तमाम एहसान हैं और मैं उन एहसानों के एवज में संदीप के लिये कुछ भी करूंगा। पता नहीं संदीप के राहुल जैन के ऊपर क्या और कितने एहसान हैं और इस बिचवानीपन के बाद वो तमाम तथाकथित एहसान पूरी तरह उतर भी पाये हैं या फ़िर भविष्य में संदीप के हाथों फ़िर किसी ब्रजेश(किसी भी पत्रकार) के पिटने और कैमरा वगैरह फैंके जाने की संभावित घटना के मौके पर दुबारा बिचवानीपन करने के लिये बचे रह गये हैं क्योंकि शेर के मुंह में एक बार खून तो लग ही चुका है। बहरहाल राहुल जैन और उनके साथ खड़े तमाम पत्रकारों की यह हरकत पूरी पत्रकार जमात के मुंह पर थूंकने से कम नहीं है।